जन आंदोलनों पर दमन बंद करो!
डॉ. सुनीलम और दयामनी बरला को रिहा करो!!
डॉ. सुनीलम और दयामनी बरला को रिहा करो!!
जंतर मंतर पर विरोध
प्रदर्शन
11 बजे, 26 नवंबर,
2012 से
प्रिय साथी,
सोमवार 26 नवंबर, 2012 को डॉ. सुनीलम और
दयामनी बरला की रिहाई की मांग को लेकर आयोजित साझा विरोध प्रदर्शन में शामिल हों.
डॉ सुनीलम और दयामानी
बरला को जेल में रख कर भारत का शासक वर्ग कारपोरेट जगत का हित साधने में लगा है। डॉ. सुनीलम,
शेष राव और प्रहलाद अग्रवाल को बैतूल जिले के प्रथम सत्र
न्यायाधीश एस.सी. उपाध्याय द्वारा मुलताई गोली कांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 12
जनवरी, 1998 को बैतूल जिले के मुलताई तहसील में पुलिस ने गोली चालन कर
24 किसानों को मौत के
घाट उतार दिया
और 150 किसानों को घायल
किया। ‘आजाद’ भारत में इतने बड़े जनसंहार कराने वाले शासक वर्ग के एक
भी दोषी अधिकारी या राजनीतिक को कोई सजा नहीं हुई। सजा हुई भी तो उन किसान नेताओं को जो
अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों की जायज मांग को लेकर प्रदर्शन का नेतृत्व
कर रहे थे। दयामनी बरला को झारखंड सरकार द्वारा 16 अक्टूबर, 2012 से गिरफ्तार कर के जेल में रखा गया है। झारखंड में इस आदिवासी महिला को जनता के हित में सघर्षों के लिए जाना जाता है। झारखंड सरकार जो कि जनता के संसाधनों को कारोपरेट जगत के हाथों बेचने के लिए विख्यात है उसकी नीतियों का लगातार दयामनी पर्दाफाश करती रही हैं। दयामनी दुनिया के सबसे बड़ी स्टील प्लांट कम्पनी के विरोध का नेतृत्व भी कर रही थी जो खूंटी तोरपा में आर्सेलर-मित्तल के द्वारा लगना था। पूंजीवादी परस्त नीतियों के विरोध के कारण ही दयामनी को गलत तरीके से जेलों में रखा गया है।
दयामनी को 16 अक्टूबर, 2012 को 6 साल पुराने मामले में जेल जाना पड़ा। दयामनी को उस मामले में जेल जाना पड़ा जिसमें भारत सरकार भी मानती है कि भ्रष्टाचार हो रहा है। 29 अप्रैल, 2006 को अनगड़ा में ग्रामीणों द्वारा मनरेगा में हुए भ्रष्टाचार के विरोध और जॉब कार्ड की मांग को लेकर विरोध किया गया था उस विरोध प्रदर्शन में दयामनी भी थी।
दयामनी को जेल जाने के बाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश टाटिया और न्यायाधीश जया राय की खंडपीठ ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया है कि पैरा मिलिट्री फोर्स लगाकर निर्माण कार्य करवाया जाये। झारखंड सरकार उसके बाद बहुत भारी मात्रा में फोर्स लगाकर निर्माण कार्य करवा रही है और जनता के विरोध को कुचलने के लिए कई सौ ग्रामीणों पर झूठे मुकदमे फिर से लगा दिये गये हैं। झारखंड उच्चन्यायालय के मुख्यन्यायाधीश जो सुनवाई कर रहे हैं स्वयं ही उस ‘ला यूनिर्वसिटी’ के चान्सलर हैं जिसे इस जमीन का एक हिस्सा मिल रहा है।
डॉ. सुनीलम और दयामनी के उदाहरण आम जनता के मन में न्यायापालिका की स्वायत्तता और स्वतंत्रता पर गम्भीर सवालिया निशान खड़े करते हैं, जो किसी भी तरह से जनतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।
इस लिए हम मांग करते हैं कि-
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डॉ.
सुनिलम, शेष राव, प्रहलाद अग्रवाल और दयामनी बारला को तत्काल रिहा करो।
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डॉ. सुनिलम, शेष राव, प्रहलाद अग्रवाल और दयामनी बारला पर दर्ज फर्जी मुकदमें
वापस लिए जाए।
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मुलताई
गोली कांड की न्याययिक जांच हो।
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पेंच
परियोजना व नगड़ी में किसानों की भूमि अधिग्रहण बंद किया जाये।
अधिक जानकारी के लिए
संपर्क करें: डॉ. सुनीलम-दयामनी बारला रिहाई कमेटी
ए- 124/6, कटवारिया सराय, नई दिल्ली 110016
फोन – 9999046291
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