राज्य सरकार द्वारा विस्थापितों को ज़मीन के बदले ज़मीन देने की घोषणा !!
इंदिरा सागर के विषय में उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की जाएगी !!
घोघलगाओं में चल रहे जल सत्याग्रह के 17वें दिन मुख्या मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ओम्कारेश्वर बाँध का जल स्तर 189 मी तक कम करने की, और ओम्कारेश्वर बाँध से प्रभावित किसानों को ज़मीन के बदले ज़मीन देने क़ी घोषणा की. साथ ही उन्होंने कहा की ओम्कारेश्वर बाँध के विस्थापितों की समस्याओं को सुलझाने के लिए 3 मंत्रियों के एक दल का गठन किया जाएगा. इसी आदेश के साथ ओम्कारेश्वर बाँध में जल स्तर वापस 189 मी तक उतारा गया. नर्मदा बचाओ आन्दोलन, सरकार के इस निर्णय का स्वागत करती है. उल्लेखनीय है की 17 दिन से नर्मदा बचाओ आन्दोलन की वरिष्ठ कार्यकर्ता सुश्री चित्तरूपा पालित सहित 50 अन्य महिला और पुरुष जल सत्याग्रह कर रहे थे और इस कारण से उनकी त्वचा गलने लगी थी और उनके स्वास्थ्य में भी गिरावट आई. जल सत्याग्रह के दौरान कई बार पानी उनकी नाक तक पहुंचा, पर इस गंभीर स्थिति में भी वे डेट रहे. सत्याग्रहियों ने इस बात को दर्शाया कि इस तरह बाँध का जल स्तर बढ़ाना सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का खुला उल्लंघन करना है.
राज्य सरकार द्वारा विस्थापितों को ज़मीन के बदले ज़मीन देने की घोषणा !!
साथ ही राज्य सरकार ने यह माना की अब उन्हें ओम्कारेश्वर बाँध से प्रभावित किसानों को ज़मीन के बदले ज़मीन देनी होगी! यह निर्णय पिछले 17 दिन से सत्याग्रह कर रहे विथापितों के लिए एक बहुत बड़ी जीत है. सरकार ने यह भी कहा कि विस्थापितों के लिए संतोषजनक पुनर्वास की समस्या को सुलझाने के लिए, एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें उद्योग मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, आदिवासी और अनुसूचित जाति मंत्री विजय शाह, नर्मदा घाटी विकास मंत्री कन्हैया लाल अग्रवाल, शामिल हैं!
इंदिरा सागर के विषय में उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की जाएगी, जगह जगह जल सत्याग्रह जारी
दूसरी ओर इंदिरा सागर बाँध के ग्राम खरदाना और बढ्खालिया में जल सत्याग्रह जारी है. साथ साथ नर्मदा बचाओ आन्दोलन ने तय किया है कि सरकार के, 260 मी से ऊपर पानी बढाने के निर्णय के खिलाफ तत्काल एक अवमानना याचिका दायर कि जायेगी. उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार इंदिरा सागर बाँध में 260 मी से ऊपर जल स्तर नहीं बढाया जा सकता.
जल सत्याग्रहियों की आवाज़ पूरे देश और दुनिया में पहुंची और देश भर के संगठनों और हजारों व्यक्तियों ने जल सत्याग्रह का समर्थन किया. मीडिया ने भी विस्थापितों पर हो रहे अमानवीय यातना को पूरी ताकत के साथ दुनिया के सामने रखा. इसी कारण से मध्य प्रदेश सरकार विस्थापितों के पक्ष में निर्णय लेने पर मजबूर हुई. नर्मदा बचाओ आन्दोलन, सभी देश विदेश के समर्थकों और मीडिया कर्मियों को आभार व्यक्त करती है. उनके साथ से ही यह जीत संभव हुई. नर्मदा बचाओ आन्दोलन ने निर्णय लिया कि सत्याग्रह स्थल को भू अधिकार स्थल में बदला जाएगा, और वहां पर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी विस्थापितों को ज़मीन के बदले ज़मीन और पुनर्वास की अन्य सुविधाएँ दिलाई जाएं.
आलोक अग्रवाल
Atomic sands and the histories of Anthropogenic pollution
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Chris Baraniuk / BBC Moments in human history are etched into the Earth.
Now researchers are piecing together evidence of our impact on the planet –
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