Responding to questions of "Participation of people in management and conservation of water" in an All India Radio program, ToxicsWatch Alliance (TWA) commented on Prime Minister's Mann in Baat -18 on dated 27th March, 2016. Prime Minister said, "हम देशवासियो को भी
सोचना होगा कि पानी के बिना क्या होगा? क्या ये समय हम अपने
तालाब, अपने
यहाँ पानी बहने के रास्ते तालाबों में पानी आने के जो मार्ग होते हैं जहाँ
पर कूड़ा-कचरा या कुछ न कुछ encroachment
हो जाता तो पानी आना बंद हो जाता है और उसके कारण जल-संग्रह
धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। क्या हम उन पुरानी जगहों को फिर से एक
बार खुदाई करके, सफाई करके अधिक जल-संचय के लिए तैयार कर सकते हैं क्या? जितना
पानी बचायेंगे तो पहली बारिश में भी अगर पानी बचा लिया, तालाब भर
गए, हमारे
नदी नाले भर गए तो कभी पीछे बारिश रूठ भी जाये तो हमारा नुकसान
कम होता है।"
TWA argued that it is indeed true that water sources and wetlands are being encroached and pollution from industrial effluents and domestic sewage is an issue that requires attention.
Prime Minister said, "इस बार आपने देखा होगा 5 लाख
तालाब, खेत-तालाब बनाने
का बीड़ा उठाया है। मनरेगा से भी जल-संचय के लिए assets create करने की
तरफ बल दिया है। गाँव-गाँव पानी बचाओ, आने वाली बारिश में बूँद-बूँद पानी
कैसे बचाएँ। गाँव का पानी गाँव में रहे, ये अभियान कैसे चलायें, आप योजना
बनाइए, सरकार
की योजनाओं से जुड़िए ताकि एक ऐसा जन-आंदोलन खड़ा करें, ताकि
हम पानी से एक ऐसा जन-आन्दोलन खड़ा करें जिसके पानी का माहत्म्य भी समझें
और पानी संचय के लिए हर कोई जुड़े।"
TWA argued that the initiative to built 5 lakh ponds requires to done only after proper environmental impact assessment. As to keeping water of each village in each village, TWA contended that this appears unscientific and contrary to water cycle. Those who argue that water from rivers which goes to the sea is wasted are taking an unscientific approach which is against the water cycle.
The audio of the AIR program is available at: http://www.newsonair.com/main-audio-new-player.asp?id=56748
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