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Saturday, March 09, 2013

पोस्को विरोधी कार्यकर्ताओं की नृशंस हत्या और बर्बर लाठीचार्ज की भर्त्सना


आज  दोपहर जब पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति के कार्यकर्ता जिला प्रशासन शासन को ज्ञापन देने जा रहे थे तो उन पर पुलिस की दस बटालियनों द्वारा बर्बर लाठी चार्ज किया गया जिसमें पचास से ज़्यादा लोगों के घायल होने की खबर है. इनमें दस से ज़्यादा गंभीर रूप से घायल है.
इसके पहले 2 मार्च , शाम 6.30 बजे पास्को के किरायें के गुण्डों ने पटाना गांव में पास्को विरोधी कार्यकर्ताओं पर बम फेंके जिससें तीन कार्यकर्ताओं की मौत हो गई तथा अन्य कई कार्यर्ता गभीर रूप से घायल हो गयें, इनमें से एक कटक मेडिकल कॉंलेज मे अपना जीवन बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। पास्को प्रंबधन तथा स्थानीय ठेकेदारों द्वारा रचा गया यह षडयंत्र , जिसें ओडिशा सरकार का आर्शीवाद भी प्राप्त था। इस का उद्देश्य पास्को प्रतिरोध संग्राम समिति के अध्यक्ष अभय साहू की हत्या करना तथा पास्को विरोधी संघर्ष को घिनौने असंवैघानिक तरीकों द्वारा अपराधिक तत्वों की मदद से इस आंदोलन का हिसंात्मक दमन करना तथा पास्को प्रतिरोध संग्राम समिति के उन कार्यकर्ताओं को धमका कर रास्तें से हटाना था जो पास्को विरोधी आंदोलन को मजबूत करने में लगें है। यहा ध्यान दिया जाना चाहिए कि कुछ साल पहले पास्को प्रंबधन के किरायें के गुण्डों ने पास्को विरोधी कार्यकर्ता श्री दुला मंडल पर जानलेवा हमला किया था, जिसमे वह मारे गयें थे। यह कारपोरेट सेक्टर के अपराधिक पतन के संकेत है कि कैसे जन विरोधी राज्य कारोबारियों के समर्थन मे उनका लालच पूरा करने के लिए किसी भी हद तक झुक सकता है।

5 मार्च को पुलिस के 12 हथियाबंद दस्तों ने जिलाधीश तथा एस. पी. के नेतृत्व में गोविदपुर गांव में जबरदस्ती प्रवेश किया तथा पान बेलाओं के 25 खेतों को उजाड़ दिया जो कि स्थानीय लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है।

राज्य की विधानसभा का सत्र 26 फरवरी - मार्च 7 तक चल रहा है। ओडिशा सरकार ने गांव में जबरदस्ती जमीन हथियाने की तैयारियां फिर से शुरू कर दी है। इससे पहले फरवरी के पहलें सप्ताह में ग्रामीणों के तगड़े विरोध तथा दुनिया भर में लोगों की चिताओं के कारण सरकार गोंबिंदपुर गांव में प्रस्तावित संयत्र स्थल के लिए जबरदस्ती जमीन हथियाने की गतिविधियों को रोकने पर बाध्य हो गई थी।

इस तथ्य के बावजूद कि पास्को के पास अभी तक संयंत्र के लिए जरूरी पर्यावरणीय स्वीकृति  नहीं है ओडिशा सरकार स्टील प्लांट के लिए जबरदस्ती जमीन हथियाने  की प्रक्रिया को जारी रखें हुए है। 31 जनवरी 2011 कों पर्यावरण तथा वनमंत्रालय द्वारा दी गयी पर्यावरणीय स्वीकृति कों राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्युनल द्वारा 30 मार्च 2012 कों निलंबित (निरस्त) किया जा चुका है। मौजूदा समय में पास्को के पास सरकार के साथ किया गया सहमति ज्ञापन भी नहीं है। 22 जुलाई 2005 को जिस सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए थे, वह 21 जुलाई 2010 को अपनी अवधि पूरी करके अतीत में समा चुका है अभी तक किसी नयें सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी नहीं हुए है।
यहां तक कि गोविदपुर की पाली सभा की बैठक, ढ़िकिया पंचायत की 18 अक्टूबर 2012 को हुई बैठक मंें 2000 से ज्यादा निवासियों ने वनाधिकार कानून 2006 के प्रावधनों के तहत सर्वसम्मति से पास्को संयंत्र के लिए जमीन का परिवर्तन कियें जाने के खिलाफ मतदान किया जमीन हथियाने की चल रही प्रक्रिया पूरी तरह वनाधिकार कानून का जबरदस्त उल्लंघन है जैसे इस क्षेत्र में वनभूमि पर अधिकारों को मान्यता नही दी है और इसके लियें जरूरी पाली सभा की सहमति को राज्य सरकार अभी तक प्राप्त नहीं कर सकी है।
ऊपर की घटनाओं ने राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय कारोबारियों तथा तीसरी दुनिया के देशों के बीच आपराधिक गठजोड़ को बेनकाब कर दिया र्है जो कि अपने साम्राज्यवादी आकाओं के समर्थन मे लूटेरे बहुराष्ट्रीय नियमों के हाथों मे प्राकृतिक संसाधनों को देने के लिए किसी भी हद तक जा सकतें है।

हम राष्ट्रीय , अन्तराष्ट्रीय नियमों तथा तीसरी दुनिया के देशों के इस कपटी गठजोड़ तथा बढ़तें हुए अपराधीकरण, तथा लफंगई पर चिंतित है।

खून चुसने वाली इस नवउदारवादी अर्थव्यस्था ने अपने बराबर ही राज्य को हिसंक नवउदारवादी बना दिया है जिसने कारपोरेट सेक्टर के किरायें के गुंडों से हाथ मिलाकर तथा पुलिस तथा फौज का बेजा इस्तेमाल कर किसानों तथा हाशिये पर रह है अन्य समुदायों को उनकी जमीन तथा आजीविका से
जबरदस्ती बेदखल कर दिया है।

यह 21वीं सदी के आदिम संचय की भद्दी सच्चाई है। जहां हिसंक कब्जा-हरण के जरियें संचय समकालीन जमीन की लूट दुखदायी कहानी है।

हम पास्को प्रतिरोध संग्राम समिति के कार्यकर्ताओें की हत्या तथा इस कायराना हरकत की कड़ी भरर्सना करते है तथा पास्को संयंत्र को रद्द करने की मांग करतें है।

1  चितरंजन सिंहं - राष्ट्रीय सचिव पीयूसीएल
2  अशोक चौधरी -एन एफ एफ पीएफ डब्ल्यू
3  डॉं 0 सुनीलम: किसान संघर्ष समिति
4  किरन शाहीन: डब्लू एम एस
5  आंनद स्वरूप् वर्मा: संपादक - समकालीन तीसरी दुनिया
6  के. के. नियोंगी - ऑंल इंडिया पलैट फॉंरम फॉंर लेबर राइटस
7  मंज मोहन - हिंद मजदूर सभा
8  रोमा - एन एफ एफ पीएफ डब्लू
9  अनिल चौधरी - इंसाफ
10  इंशा मलीक - रीसर्च स्कौलर (जेनएनयू)
11  भूपेन सिंह - रीसर्च स्कौलर (जेनएनयू)
12  विजय प्रताप - संॉंस्लिट फंरट
13  मधुरेश - एनएपीएम
14  राजेन्द्र रवी - एनएपीएम
15  अन्ना खंडरें - समाजवादी पार्टी
16  पुतूल - यूवा भारत
17  पी 0 के 0 सुंदरम -
18  प्रकाश कुमार रॉंय - संपादक बरगढ ओआरजी
19  नयन ज्यांजि - क्रांतिकारी नौजवान सभा
20  विनोद सिंह - समाज्वादी जन परिषद
21  राखी सहगल - लेबर एक्टीविस्ट
22  गोपाल कृष्ण- पर्यावरण कार्यकर्ता
23  ममतादास - पास्को प्रतिरोध सोलीडरट्री डेल्ही
24  असीत दास -  पास्को प्रतिरोध सोलीडरट्री डेल्ही

STATEMENT ON THE MURDER  OF ANTIPOSCO ACTIVISTS

We the undersigned are outraged and distressed over the latest turn off events in the antiposco struggle villages of jagatsinghpur district Odisha.
            On 6:30 pm on 2nd March, hired musclemen of Posco threw bombs at antiposco activists in patana village and killed 3 activists and severely injuring several others; one of them is batting for his life at cuttack medical college. This conspiracy was hatched by Posco management and local contractors with active connivance with the Odisha government to murder Abbay Sahoo the President of Posco pratihrodh sangram samity, and to violently supress the antiposco struggle with despicabls unconstitunal means by hiring criminal elements to eliminate and intimidate activists of PPSS which is spearheading antipopsco movement.
            It is to be noted that few years ago the hired hoodlums of Posco management attacked shri Dula mandal an antiposco activist of Gobindpur village killing him. This indicates the criminal degeneration of the corporate sector with a complicit probusiness and anti people state can stoop down to any level for their greed.
            On 5th march 12 platoons of armed police led by the district collector and SP forcible entered Gobindpur village and destroyed more then 25 betel vines the major source of lively hood of local people.
The state assembly session is in session from February 26- March 7, the Odisha government has begun preparations to resume forceful land acquisition in the village. The government was forced to stop land takeover activities at Gobindapur village in the proposed project site in the first week of February owing to stiff opposition from villagers and concerned people across the globe.
The Odisha government is going ahead with the forceful land acquisition process for the steel plant despite the fact that Posco does not have an environmental clearance for the project. The environmental clearance given by the Ministry of Environment and Forests (MoEF) on January 31, 2011 was suspended by the National Green Tribunal (NGT) on March 30 of 2012. Posco was not even have a memorandum of understanding with the government now. The one it had singed on July 22, 2005 lapsed on July 21, 2010 and no fresh MoU has been signed so far.
Even, the palli sabha meeting of Gobindapur, and the gram sabha meeting of Dhinkia panchyat on 18 October, 2012, more then 2000 residents unanimously voted against diversion of land for Posco's project under provisions of the Forest Rights Act 2006. The ongoing land acquisition is a blatant violation of the Forests Rights Act as the rights over forest lands in the area are not being recognized and vested and consent of the Palli Sabhas has not been obtained by the state government.
The above incidents exposes the criminal nexus between national and international big business with the comprador third world states, who can go any extent to prostrate in front of  their imperial masters to hand over the natural recourses to the Merauding Multinational Corporations.
We are worried of the growing criminilastion and lumpenisation and the strengthening of the insidious nexus between the National and Multinational Corporations with the third world states.
The bloodsucking neoliberal economy has created an equally predatory neoliberal state which joins hand with hired musclemen of the corporate sector and also sends its Coercive apparatus like the police and paramilitary forces to forcibly dispossess the peasants, Adiasisard other marginal communities from their land and livelihoods. This is the ugly reality of 21st century primitive accumulation where accumulation through violent dispossession is the sad story of contemporary land grab.
We condemn this dastardly act of violent attack and murder of PPSS archivists   and demand the scrapping of the Posco project.

1)      Chittraranjan singh     National Secretary PUCL
2)      Ashok choudhury         NFFPFW
3)      Dr.Sunilam                  Kissan Sangharsh Smity 
4)      Kiran shanheen           Women against sexual violence and state expression(WSS)
5)      Anand swarup verma Editor samkaleen tisri duniya
6)      K.K. Niyogi                   All India platform for labour rights
7)      Manj mohan               Hind mazdoor sabha
8)      Roma                           NFFPFW
9)      Anil chaudhury            INSAF
1    Insha malik                    Research sholar JNU
11Bhupen singh              Research sholar JNU
1  Vijay pratap                Socialist front
1   Madhuresh                  NAPM
14)  Rajendra Ravi                         NAPM
Anna khandre              Samajwadi party
  Putul                            Yuva bharat
 P.K. sundaram             IndiaResists.com
 Prakash kumar ray      Editor, bargad.org
  Nayanjyoti                    Krantikari naujawan sabha
  Vinod singh                 Samajwadi jan parishad
21  Rakhi scigal                 Labour activist
22   Gopal Krishna              ToxicsWatchAlliance
23 Mamta dash                Posco pratirodh solidarity Delhi
24 Asit das                       Posco pratirodh solidarity Delhi

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